🌹उत्सव 🌹
चहल-पहल से भरा हुआ था उस रोज घर 🏠मेरा,
कोई इधर और कोई उधर भाग🏃♀️ रहा था,
हडबडी नही पर हलचल 💃🏼चारों तरफ मची थी,
बंदनवार 🥀🌺और जलबुत बिजलियों से हर दरवाजा⛩️ सजा हुआ था,
इतने शोरशराबे के बीच धडकनें🫀 तेज मेरी थीं ,
बारात आ गई है ये सुन 🫀कलेजा मुँह को आ गया था,
माना वो राजकुमार 🤴मेरे अपने सपनों का था,
पर मुझे मेरे घर 🏠से तो दूर ले जाने आ रहा था,
नयी दुनिया में जाने की इक ओर खुशी 💃🏼थी,
माँ-पिता के छूट जाने का दिल में गम😔 बड़ा था,
दुनिया की रीत है बेटी पराया करने की जो,
माता-पिता 👨👨👧👧खुशी-खुशी वो निभाने के लिए उत्सुक बड़े थे,
उस रोज 🌹उत्सव🌹 में हर शख्स खुश बहुत था,
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