Friday, May 15, 2015

अहसास

सुना  हर किसी से था माँ का प्यार अनमोल है होता ,
सुना हर किसी से था माँ का अहसास बड़ा कोमल है होता,
सुना हर किसी से था उसका दामन बड़ा खुशनुमा है होता,
सुना हर किसी से था माँ के प्यार में बड़ा ही बल है होता ,
सुना हर किसी से था माँ का आँचल बड़ा सुरक्षित होता,
काश एक पल के वास्ते ही मुझे वो प्यार मिला होता ,
काश एक घडी के वास्ते ही मुझे वो अहसास हुआ होता ,
काश एक रोज के वास्ते ही मैंने वो दामन भिगोया होता,
काश कभी मुझे भी एक पल के लिए ही वो होता,
काश उसके आँचल में छिपने का एक पल मिला होता,
ऐ परवरदिगार गर ऐसी  ख़ुशी का अहसास भी होता,
ऐ आसमान के फरिस्ते मुझे तुझसे न कोई गिला शिकवा होता ॥

Monday, May 11, 2015

मेरी माँ

कोख में छिपी अजन्मी एक ममता भरी माँ की बेटी मैं थी,

उसके गर्भ मैं इस तरह सुकून और सुरक्षति मैं थी,

जन्मते ही आँगन में मेरी किलकारियों की गूँज से चहक उठी माँ थी ,

अपने सपनों को मुझमें साकार करने के चाह मेरी उस माँ को थी ,

आँचल में अपने छिपा मेरे उदर को भर खुश हो लेती वो मेरी माँ थी ,

मेरी हर मुस्कुराहट पर न्योछावर हुए जाती वो मेरी माँ थी ,

हर रात थपकियों देकर मुझे सुलाती वो मेरी माँ थी ,

खुद को भिगो मुझे सूखी चादर पर सुलाती वो मेरी माँ थी ,

खुद को जगा मुझे रोज नींद भर सुलाती वो मेरी माँ थी ,

आहिस्ते से जब चलना सीखा मैंने ,ऊँगली थाम चलना सिखाती वो माँ थी ,

उम्र के हर मोड़ पर मेरा सहारा बनी वो मेरी माँ थी ,

जरूरत हुई जब मेरे दामन को दुनिया से बचातीवो  मेरी माँ थी ,

मेरे हर स्वप्न को पंख लगाती वो  मेरी माँ थी ,

मेरे क़दमों को सही राह दिखाने वाली वो सबसे प्यारी वो मेरी माँ थी ,

इस धरा पर उस जहाँ की सबसे खूबसूरत वो नज़राना मेरी माँ थी,

जन्मों तक तेरे ही साथ रहूँ माँ बस इतनी सी चाह मेरे दिल में थी ,

शायद मुझसे ज्यादा ऐ मेरी प्यारी माँ, तेरी  उस खुदा  को जरूरत थी ॥

 

Sunday, May 3, 2015

भूकंप

आहट भी न हुई धरा काँप गयी थी कुछ इस तरह ,

पल में बिखर इमारतें गयीं थी सूखे पत्तों की तरह ,

वो जो  दुश्मन लगते थे आज लग रहे दोस्तों की तरह ,

फिर न काँपे  धरती इस डर से बीत रहा पल भी सदियों की तरह ॥

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जागे भी न थे वो अभी थरथरा ये धरती गयी ,

चादर में लिपटे मासूमों की सांसें भी थम गयी ,

माँ खिलाती निवाला जिनहें ,उन्हें धरती निगल  गयी ,

आह न हुई आवाज न हुई मौत उन आगोश में ले गयी ॥

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एक इंच धरा के वास्ते रिश्तों में बढ़ रही हैं दूरियां ,

एक फ़ीट जमीं के वास्ते चलती हैं चाकू छुरियाँ ,

भगवान तेरी बनायीं धरा पर  बहती है सुन्दर नदियां ,

हलके से भी हिल जाये धरा गर बहती हैं खून की नदियां ॥