Saturday, August 27, 2016

सबसे जुदा मैं हूँ #Knowyourself .

Indispire Edition 132
जैसी भी हूँ, सबसे जुदा मैं हूँ,
अलग दुनिया में लिखती अपनी दास्तान हूँ,
खुद के बनाये पन्नों में बिखराती अपनी दुनिया में मशगूल मैं हूँ,
न कोई मुझसे ऊपर, न कोई मुझसे अच्छा,
करती हूँ नाज़ खुद पर हूँ,
अपने मन में,  अपनी ख़ुशी में झूमती नाचती मैं हूँ,
शिकवा करने वालों से दूर रह कर खुशबू खुद की फैलाती मैं हूँ,
बंद दरवाजों से छनती धूप सी मैं हूँ,
ऊषा की किरणों से रक्तिमा फैलाती ख़ुशी की किरण हूँ,
जो दिल कहे मानती मैं हूँ, 
जो दिमाग कहे करती मैं हूँ,
 न डरना चाहती हूँ,
न डराना चाहती हूँ,
संगीत की तरन्नुम मैं हूँ,
किताबों के पन्नों की दास्ताँ मैं हूँ,
इतिहास बनाना चाहती मैं हूँ,
भविष्य के सपनों में उड़ना चाहती मैं हूँ,
खुद को सबसे आगे मानती हूँ,
हाँ खुद को खुद से ज्यादा जानती मैं हूँ,
जैसी भी हूँ, सबसे जुदा मैं हूँ ॥ 


Saturday, August 13, 2016

आसाँ नहीं यूँ ही चले जाना

बदलते वक़्त के परिवेश में सब कुछ जैसे भागा सा जा रहा है, कहीं कोई ठहराव नहीं है खासकर आजकल की युवा पीढ़ी। आसानी से किसी भी हालत से घबरा कर उन्हें सिर्फ एक ही रह सूझती है जो सीधे - सीधे आत्महत्या के  प्रेरित करती है।
श्रीराम अय्यर ने अपनी पुस्तक The Story of a Suicide के द्वारा स्पष्ट किया है आत्महत्या के लिए मन को तैयार करना आसान नहीं है, हर विफल इंसान आत्महत्या कर ले यह भी जरूरी नहीं पर आजकल समस्याओं से जूझता युवा वर्ग आसानी से इस ओर अपने कदम बढ़ा लेता है.
मुझे याद है मेरे स्कूल के समय में बहुत हो होनहार और हर क्षेत्र में कामयाब होने वाली एक मेरी ही सहपाठी थी, जिस वर्ष वह स्कूल द्वारा आयोजित  एक प्रतियोगिता को उत्तीर्ण  नहीं कर पायी तो उसने खुद को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी. यह मेरे जीवन का बहुत ही  दर्दनाक किस्सा था जिसे मैं काफी समय तक अपने जेहन से निकाल नहीं पायी,  हाँ उससे मुझे प्रेरणा जरूर मिली किसी भी हालात से घबरा कर यूँ मौत को गले लगाना ही समस्याओं का निदान नहीं है, उनसे जूझ  कर जो अपने लिए रह आसान कर लें वो जिंदगी के असली मायने समझते है। 
 यही नहीं आज भी युवा वर्ग ही आत्महत्या आत्महत्या की ओर अधिक अग्रसर हो रहे हैं, फिर चाहे वो गांव का युवा वर्ग हो या शहर का। 
मानती हूँ आज हर क्षेत्र में  युवा वर्ग पर बोझ बढ़ता ही जा रहा है फिर वो चाहे पढाई हो खेलकूद हो या फिर भविष्य की चिंता हो, स्कूल में अच्छे से अच्छे नम्बर लाने  की होड़, घर पर माता- पिता का दबाब, आसपास जुड़े लोगो के द्वारा पूछे जाने की फ़िक्र में आज बच्चे वक़्त से पहले ही बड़े होते जा रहे है ऐसे हालात से उन्हें निपटने के प्रेरित करना होगा। उन्हें इन चुनौतियों से डटकर मुकाबला करने में हाँ उनके माता- पिता का सहयोग जरूरी है । 
श्री राम अय्यर की पुस्तक की कहानी कुछ हरि , चारु, सैम  मणि के इर्द गिर्द घूमती है, ये दोस्ती, प्यार, रिश्ते और विश्वासघात की कोई सीमा नहीं जानते हुए भी एक दुसरे से जुड़े हुए हैं । 
मुझे लगता है हम सभी को अपनी सोच सकारात्मक रख कर जीवन के मार्ग को आसान बनाना चाहिए।
इस पुस्तक में कुल ३१ अध्याय हैं जिसमें से छठा अध्याय दिल को छु लेने वाला  है ॥ 
http://www.storyofasuicide.com

 संघर्षों से भरी मन है ये जिंदगी, 
लड़कर मुसीबतों से उबर राह बनाये जो,
डरकर न लड़खड़ा जाये कदम,
काँटों भरी राह पर चलकर मंजिलें जो आसान बनाये,
है इंसान वो इस जहाँ में हर परिस्थिति में जो अडिग रहे,
घबरा कर मौत को गले लगाना भी कोई आसाँ नहीं,
गर ध्यान से नज़र डालें इस पुस्तक की हर कहानी पर,
हर अध्याय नयी दिशा दे रहा है जिंदगी को आसान बनाने की,
खूबसूरत रचना है ये, हर किरदार में गर खुद को तलाश लो,
खुद को हीरे सा तराश कर खुद की तुम पहचान बना लो ॥ 


Thursday, August 11, 2016

खुश हूँ मैं #choice

खुश हूँ मैं जितना मेरा पास है,
खुश हूँ मैं उनके साथ जो मेरे साथ हैं,
होती जो खुद की कहानी की लेखक,
तो हाँ इस जीवन को शायद फिर दोहरा कर लिख लेती, 
हाँ, इतना तो मैं  जरूर कर ही लेती , 
अपनी माँ को इस तरह बचपन में खोने न देती,
उसके प्यार से खुद को न वंचित करती,
पिता के साये को न उठने देती,
उनकी ऊँगली थाम चलने की तमन्ना पूरी कर लेती,
माँ के आँचल से दो बूँद अमृत के पी ही लेती,
फिर भी मैं खुश हूँ उसमें जो मेरे पास और साथ है ॥ 

PS. This is written specifically for INDISPIRE Edition 129 

Tuesday, August 9, 2016

वो

वक़्त बीत गया कुछ इस तरह उनके साथ रहते- रहते,
न कोई शिकवा मन में उनके न कोई गिला रही हमसे,
हाथ सर पर हर वक़्त रहा हमारे कुछ इस तरह ,
न लगा कभी पराया ये घराना हमको,
अब तो चाहत बस इतनी सी रह गयी है,
उनके हाथ सर पर रहे हमेशा रहे वो चाहे जिस भी दुनिया में ॥