धूप फिर छिटकने सी लगी है ,
बादलों की घटाएं भी अब कम सी दिखती हैं ,
बंद कमरों की खिड़कियां खुलने लगी हैं
,बिस्तरों से रजाईयां सरकने लगी हैं ।
बदन भी अब हल्का सा लगने लगा है ,
बोझ कपड़ों का अब कम होने लगा है ,
पक्षियों का चहचहाना भी अब बढ़ गया है,
क़दमों के चाल भी अब बढ़ गयी है ।
ठण्ड में जो दुबके हुए थे ,
अब बुजुर्ग भी वो बाहर निकल टहलने लगें हैं ।
बैठते थे धूप सेकते खाते थे मूंगफली जो ,
बाहर वो बैठने से कतराने लगे है
आगाज हो रहा है गर्मी के मौसन के आने का,
लोगों के चेहरे मुस्कुराने से लगे हैं ॥
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मौसम बदल रहा है ध्यान अपना सभी को रखना होगा ,