Tuesday, July 13, 2021

खत जो भेज न सके

✍✍

कुछ थी उम्र कच्ची, कुछ नादानियाँ, 💕

तुमको देखा तो धडकनें🫀 हो गयी थी जवाँ ,

देखते ही दिल दे बैठे थे, मन भी बस में नहीं था, 

जाने ये प्रेम था, या अल्हड़ 👩‍🦰जवानी का भ्रम था, 

उस रोज से कई पन्नों 🗒️पर कुरेदे थे अल्फाज़ों के मोती, 

अन्जान थी मैं तुम्हारे दिल 🫀के जज्बातों से,

हर रोज लिखती ✍️रही थी अपने दिल🫀 के हालात उन खतो 🗒️में, 

इक गुलाब 🌹 का फूल भी हर खत में रख देती थी,

पता न पता था, 😔न खबर कोई तुम्हारी थी,

दिल 🫀का चैन छीन, जाने कहाँ तुम खो गए थे, 

संजोये थे बडे सिद्दत💕 से मैंने उन खतों को,

इत्र की खुशबुओं से भी तरबतर उन खतो 💌को  किया था, 

पिरोये हैं अपना हाल-ए-दिल उन सुनहरे पन्नों पर ,

आज भी बेचैन हूँ क्योंकि न भेज सकी मैं उन खतो🗒️ को।


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