Thursday, January 30, 2014

चाह

जो न किया कभी वो आज ज़रा कर लेने दो,

                      तेरे अल्फाजों को मेरे लबों पे आ जाने दो।
वक्त जो थम ही जायेगा हालात जरा बदल जाने दो,

                      तुम आज अपनी आगोश में  जरा मुझे आ जाने दो॥ 

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आँखों के बरसते नीर को आँसू न समझना,
                                दिल में छिपे दर्द को यूँ रुसवा न करना।
अब और क्या कहें तुमसे ऐ सनम ,
                               हम  तड़पते हैं हर पल तेरी याद में बेवफा न समझना ॥ 

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तेरे होने के अहसास को हम कुछ ऐसे जिए हैं,

                                        जिंदगी में आये हर गम को जाम संग पिए हैं। 

तुम बाँहों में लो या न लो हम तो सीने से यूँ  ही लगे जाते हैं ,
                                                 तेरी आँखों के सहारे हर ख्वाब अपना जिए जाते हैं ॥ 

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Tuesday, January 28, 2014

pal

१. पहलू में अभी थे,जाने कहाँ चले गए,सारे जहाँ की खुशियां हमको थमा गये।

ढूंढते रह गए हम नज़र कहीं नहीं आये,आहट  भी नही हूँ वो सामने नज़र आये ॥

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२. थाम दिल की धड़कन जुदा  हो रहे थे,चिलमन की ओट से वो मुस्कुरा रहे थे।

मुस्कुराहट में दर्द-ऐ-दिल छुपा रहे थे,जाएँ कैसे हम उनके अश्क रास्ता रोक रहे थे।।

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३.इस शहर में आये हुए चार दिन न हुए थे ,तुम्हें मिलकर अभी चार पल न हुए थे ॥ 

नैन तेरे दीदार को हर पल क्यों तरसते थे,लब भी चार लफ्ज कहने को तरसते थे ॥ 

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४. करती हूँ तेरा इंतज़ार बड़ी बेकरारी से,यकीन न हो तो पूछ लो बिस्तर की सिलवटों से । 

     हर पल  तड़प कर रह जाते हैं तुम्हारी बातों से ,अश्क थमते ही  नहीं हैं हमारी आँखों से ॥ 

Saturday, January 25, 2014

चाहत

१. दुनिया की कही कुछ यूँ दिल से लगाई ,नज़र हमीं से फेर कर चल दिए । 

                                                           बात हमारे दिल की सुनते इससे पहले क्यूँ चल दिए ॥ 

क्यूँ हमसे जुदा होकर  चल दिए,बयां करें क्या हाले दिल अपना । 

                                                       आये थे बहार बनकर ,हाय!  क्यूँ पतझड़ बनकर चल दिए ॥ 

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२. मेरी मोहब्ब्त का जनाजा न निकल जाये डरती हूँ, 

                                                                   डर ही है जो हर पल चुप रह जाती हूँ ॥ 

कुछ कहने से पहले लव थरथरा जाते हैं , 

                                                                   हर पल उनके पहलू में रहूँ ,चाहत में जिए जाती हूँ ॥ 

एक बार जो दिल की बात कह दूँ ,

                                      दिल को मेरे सकून  आ जाये ,

                                                 उनके दीदार हों तमन्ना हर पल यही रखती हूँ ॥ 

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३. तेरी आँखों से मिला जो पैगाम प्यार का,

                                                                  हमने समझा जाम और पीते चले गए ॥ 

तेरे होंठों से सुने जो प्यार के दो बोल ,,    

                                                               फूल समझा और चुनते चले गए ॥ 

आगोश में तुम्हारी आ जाएं  इसी चाहत में , 

                                                                 हम  ज़माने में रुसवा होते चले गए ॥

Friday, January 24, 2014

तमन्ना

१. निगाहों में तुम ,मंजिलों में तुम्ही हो ,
                       ये पूछो किसी से कहाँ तुम नहीं हो ।
मेरी चाहतों में तुम हो मेरी आरजू में
                     ,जहाँ  तक नज़र हो वहीँ तुम ही तुम हो ।
तमन्ना यही तेरे क़दमों में सर हो,
                      चुरा लूँ वो नज़रें कि जिनमें बसे हो ।



२. सागर सी गहरी आँखों में देखते ही रह गए ,

                         अपने ही सीने में दिल अपना हम ढूंढते रह गए ॥ 


३. तमन्ना है दिल में आपके इस तरह समां जाएं ,
                                   हर पल आपको सिर्फ हम ही हम  याद आयें ॥ 

४. समंदर के फेन से नज़्म लिखना चाहती हूँ ,
                                      तेरे दिल के आईने में अपना ही अक्स देखना चाहती हूँ ॥ 

Thursday, January 23, 2014

लम्हे

फुर्सत के लम्हे हों जब हमको भी याद कर लेना,

                        बंद पलकों से ही सही अपने होने का अहसास करा देना । 

तमन्ना है इतनी हर रोज तुम हमारे ख्वाबों में चले आना ,

                        ख्वाबों के सहारे ही हम  बिता देंगे ये चार रैना । 

इंतज़ार में हर पल बिछा कर रखें हम  अपने ये नैना,

                      एक छोटी सी इल्तज़ा है ऐ सनम तू जल्दी आ जाना ॥

Wednesday, January 22, 2014

इन्सान

आज इंसान ही इंसान को नीचा दिखाने की चाह में,

                    खुद ही  गर्त में गिरा जाता है क्यों ,

                                सामने खाई  है जानकार भी खुद ही गर्त में गिरा जाता है इस तरह क्यों । 

    रश्क करता होगा जो खुद इंसान बनाकर ,अश्क बहाता होगा वो खुदा आज इंसान बनाकर ॥

          


Tuesday, January 21, 2014

बारिशें

लो आज फिर एक बार बादलों ने आसमान को घेरा है ,

            धूप कहीं दूर, सूरज को फिर  अँधेरे ने आ घेरा है । 

                   टपटप करती बूँदों खो गया फिर सवेरा है ॥ 

                            ,रास्तों की भीड़ बसेरों में सिमट गयी है,दिन में ही  छाया घना अँधेरा है ।

                    आँधियों के जोर से टहनियों ने दामन दरख्त का छोड़ा है,

                                  लो आज एक बार फिर आसमान को बादलों ने आ घेरा है ॥

अहसास

१. वक़्त के थपेड़े इतने सहे हैं हमने ,ऐतबार के मायने ही भुला दिए थे हमने । 

अब जो दामन हमारा थामा  है आपने,मझधार में न छोड़ोगे दिखा दो ये सपने । 


२. गम देते हैं वो फिर खुशियां देना चाहते हैं , आँखों के अश्कों को सहारा देना चाहते है । 

  जाने है कैसा उनका प्यार क्या बताना चाहते हैं ,हर पल वो जमाने के सामने रुसवा करना चाहते हैं ॥

३. लव अल्फाजों को बयां करते इससे पहले आंसुओं ने कह दिया ,

        दिल का हाल हम सुनाएं इससे पहले धड़कनों ने कह दिया । 

उनके अंदाज को समझे बिना ,चाहत अपनी बयां कर दिया । 

     क्या गुनाह हमारा  था, जो दिल हमारा यूँ तोड़ दिया ॥

Monday, January 20, 2014

drops

1.दोस्त हो आपसा तो सफ़र क्या मंजिल भी आसाँ हो जायेगी, 

          साथ छूटेगा नहीं जब तक ये जिंदगी न हो जाये फ़ना 

 

2.मिल जाएँ गर हम राह में पहचान लेना ,एक बार हमें अपनी आँखों में बसा लेना॥

रास्ते तो बहुत जाते होंगे तेरे दर पे ,पर जो मिले मुझे वो तेरे दर का ठिकाना होगा ॥

pankhudi

1.पल जब मुस्कुरा  के नाम हमारा तुमने लिया था ,उस ही पल ये दिल तुमको हमने दे दिया था, 

           सम्हाला बहुत   अश्कों ने राज सबको बता दिता था,तेरी चाहत में हमने अपना सब कुछ लुटा दिया था ॥

2.कहीं ऐसा तो नहीं है मेरे दोस्त, कि मेरी शायरी आपके पेशाने पे लकीरें बना रही हों

            मैं  बेगानी पागल से अपनी ही धुन में आपके लिए बराबर पंक्तियें लिखे ही जा रही हूँ ??

3.नज़र से दूर थे दिल के करीब थे,वजह यही थी करवटें बदलते थे,

        यादें तुम्हारी थीं,ख़्वाब भी तुम्हारे थे,

              दिल तुम्हारे साथ था तुम नहीं बांहों में थे,

                  रात भर सोये नहीं तुम्हें खोजते राहों में थे

justjun

1.हमने पलकें झुकाईं तो मुस्कुराते है,हमने पलकें उठायीं तो मुस्कुराते हैं,

           जाने बात हुई है क्या मगर, हमारी हर अदा पे वो मुस्कुराते है ॥

2.जाने क्या बात है आज कुछ करने को मन नहीं चाहता ,मौसम ही इतना खुशगवार है कि बस मन  खेलने को उतावला है अल्फाजों से 

3.आप सा कोई दोस्त जो मेरे अल्फाजों को अहसासों को समझने वाला हो,तो कोई कैसे रोक सकता है पन्नों पे उतारने से ॥

4.पल जो आया है ,कल बीत जाना है,गम के बादलों को भी एक रोज छट  जाना है,आया है जो मुसाफिर उसे भी एक रोज चले जाना है,रात आयी है गर तो फिर सुबह को भी तो आना है ,डर  है किस बात का सनम ये तो जमाना है

5.मिली नज़रों से नज़र जाम हो गए खाली ,बात क्या थी शहर भर के हो गए मयखाने खाली ॥

6.छिपानी हो जो बात उसे जानना और भी जरूरी हो जाता है

क्योंकि छिपी हुई बात में ही तो कई राज दबे होते हैं ॥

7.अदाओं के जलवे तो रोज होते हैं,आज क़यामत होने दो,तन्हा कर दो हमें आज जरा सा रो लेने दो,आँखों के पैमानों को आज जरा खाली हो जाने  दो,भूल कर सब कुछ आज हमें जी भर पी लेने दो ॥

8.तेरी आँखों में है कशिश या कोई जादू,अपने दिल पर किस तरह रखों काबू ,होंठों पे नाम तुम्हारा आते-आते लव थरथरा जाते है जाने क्यूँ ॥

panktiyan

1.ये क्या हम एक-दो पल को क्या गए दूर ऐ दोस्त, आपका नज़र आना ही हो गया मुश्किल ऐ दोस्त ॥
आपकी एक पंक्ति में हम  अपना वज़ूद ढूंढते हैं हर रोज़ ,आप के एक लफ्ज़ को देखने को आज तरस रहे हैं ॥


2. जुदा  होकर इस तरह कहाँ खो गए हो सनम ,ढूंढ रहे इधर-उधर हर तरफ मेरे कदम ॥

दिन बीता जाये न आये नज़र आप यहाँ,ऐ मेरे अज़ीज ऐसे तुम खो गए हो कहाँ

3.जा रहे हैं हम अब नहीं जानते कब आयंगे , इतना यकीन है तेरी आहट होते ही झलक दिखा जरूर देंगे ॥

drops

१. कली थी किसी के आंगन की कल तक ,आज तुम्हारे चमन का फूल बन गयी हूँ । 

 तेरे साये से लिपट जिंदगी बिता दूँ अपनी,तेरे आंगन में चांदनी सी खिलती ही रहूँ ।

प्यार इतना करूँ तुझको ऐ मेरे सनम , दामन को तेरे हमेशा महकाती यूँ ही रहूँ ,

ख्वाब भी आये तो मैं ही मैं रहूँ तेरे ख्वाबों  में ,ख्वाब किसी का न आये ये  दुआ करती ही रहूँ ॥ 

 

२. यूँ न चलाया करो तीर शब्दों के सनम ,नासूर बन जाते है भीतर दिल के । 

दर्द  होता है जो उसे बयां कैसे करूँ ,हम ज़माने के मारे पहले ही हैं सनम । 

तुम जो समझ हमको एक बार लेते ,ज़माने में रुसवा न करते हमको ऐ सनम ॥

३. ऐसी भी खता क्या हो गयी है हमसे ,तुम हमें दो लफ्ज लिखने के काबिल  नहीं समझते ,

हमने तो लिखे टूटे -फूटे दो शब्द ,लोग तो चाहत में शायर  हो जाया करते हैं सनम ॥

Saturday, January 18, 2014

Dard

उनके लिए कुछ तो सोचा होता ऐ मालिक ,

                                           बाहर  ठण्ड कड़कड़ाती में जो बेबस सोते है|

कोई उनका भाग्य कह  किनारा कर लेता है ,

                                    कोई देख कर अनदेखा कर देता है ,कोई तो तस्वीर लेने आ धमकता है| 

                                       और कोई उनके तन पर कम्बल डाल जाता है ,

कोई रजाई में दुबक जाता है बंद कमरों में, 

                                  दो घडी के लिए कोई अलाव जलाकर बच जाता है|

कोई तो आस्मां ऐसा भी होता  जो ,

                                 उनके तन पर गरम हवाएं बहा जाता इस कड़कड़ाती ठण्ड में। 

कहीं एक आशियाना उनके लिए होता ,

                                       तो आज न आँख में आंसू हमारे होते ऐ मालिक .

सरेआम उनकी जिंदगी पर कहानी लिखने वालों ,

                                            कभी उनके आंसुओं का हिसाब भी लिख लेना॥ 


pulwari

हर हसीं लम्हात को पन्नों में समेत लेती हूँ, याद आती है तो यादों के झरोखों में झांक लेती हूँ, रूठ जाये मुस्कुराहट तो भी मुस्कुरा देती हूँ,आपकी हसीन यादों के सहारे जिंदगी बिता लेती हूँ

 

गुनगुनाती धूप में आ जाये कोई आप सा हमदम साथ में।,

एक चाय की प्याली हो और चटपटी नमकीन पास में ॥


 ज़िन्दगी की धूप छांव में कहीं तो कोई ऐसा  प्यारा साथी मिला ,

मेरे कहे अल्फाजों को हर पल जिसने  दिया है ऐसा सिला ,

हर वक़्त सोचती हूँ कि क्या अर्ज करूँ मैं उन्हें नज़राना।

जो छा जाये उनके दिलो-दिमाग पे  और चल पड़े ये सिलसिला


जिंदगी को नया आयाम देने वाले ऐ मेरे दोस्त ,

एक दिन तो मिल ही जायेंगे हम दोनों दोस्त


वो जो बैठ कर जोड़ियां बनाता  है दूसरे जहान में,

शायद हमें भी मिला दें एक बार इस जहान  

 

जो हुआ न हो कभी, आज ज़रा हो जाने दो , तेरे ही लफ्जों को मेरे लबों पे आ जाने दो।

वक्त का क्या है, थम ही जायेगा, हालात जरा बदल जाने दो,

आज ख़ामोशी ही सही,अपनी आगोश में ज़रा आ जाने दो, एक बार सीने से लगा कर प्यार का इजहार हो जाने दो ॥


hasratein

बात दिल की जुबान पर लाये नहीं बनती

,देखूं तुमको तो निगाहें नहीं झुकतीं,

 इन झुकी पलकों को तो समझो,

दिल की हालत छिपाये नहीं छिपती

मेरे थरथराते लबों की बात समझो,

 मेरे दिल की धड़कनें नहीं थमती,

हम तुम्हारे हैं बेगाने न समझो,

 बीती बातें भुलाये नहीं बनती,

मेरे दिल की हसरतों को समझो ऐसी बातें लबों पे लाये नहीं बनती

ख्वाहिशें

1.ऐसे ही किसी मोड़ पर ग़र मिल जाये तुझसा एक हमसफ़र ,दिल को हार कर भी ख़ुशी का कर देंगे हम इजहार ॥ 


2.नज़र लग जाये न कहीं किसी की आपको सोचते हैं ,इसीलिए नज़रबट्टू खरीदने जा रहे हम जा रहे हैं 

3.तारीफ के अल्फाजों की कोई भी कमी नहीं आपके शब्दकोष में,हम भी कितने खुशनसीब है जो आप हैं मेरे दोस्तों की फेहरिस्त में 


4. दिन बीता जाये न आये नज़र आप यहाँ,ऐ मेरे अज़ीज ऐसे तुम खो गए हो कहाँ


जा रहे हैं हम अब नहीं जानते कब आयंगे , इतना यकीन है तेरी आहट होते ही झलक दिखा जरूर देंगे ॥ 

5.हमने पलकें झुकाईं तो मुस्कुराते है,हमने पलकें उठायीं तो मुस्कुराते हैं,

           जाने बात हुई है क्या मगर, हमारी हर अदा पे वो मुस्कुराते है ॥




6.जाने क्या बात है आज कुछ करने को मन नहीं चाहता ,मौसम ही इतना खुशगवार है कि बस मन  खेलने को उतावला है अल्फाजों से 

7.आप सा कोई दोस्त जो मेरे अल्फाजों को अहसासों को समझने वाला हो,तो कोई कैसे रोक सकता है पन्नों पे उतारने से ॥



8.पल जो आया है ,कल बीत जाना है,गम के बादलों को भी एक रोज छट  जाना है,आया है जो मुसाफिर उसे भी एक रोज चले जाना है,रात आयी है गर तो फिर सुबह को भी तो आना है ,डर  है किस बात का सनम ये तो जमाना है

9.मिली नज़रों से नज़र जाम हो गए खाली ,बात क्या थी शहर भर के हो गए मयखाने खाली ॥


10.छिपानी हो जो बात उसे जानना और भी जरूरी हो जाता है

क्योंकि छिपी हुई बात में ही तो कई राज दबे होते हैं ॥


11.अदाओं के जलवे तो रोज होते हैं,आज क़यामत होने दो,तन्हा कर दो हमें आज जरा सा रो लेने दो,आँखों के पैमानों को आज जरा खाली हो जाने  दो,भूल कर सब कुछ आज हमें जी भर पी लेने दो ॥


12.तेरी आँखों में है कशिश या कोई जादू,अपने दिल पर किस तरह रखों काबू ,होंठों पे नाम तुम्हारा आते-आते लव थरथरा जाते है जाने क्यूँ ॥