अल्फाज़ मेरे उनको समझा सकूँ वो अलफ़ाज़ मैं कहाँ से लाऊँ,
दिल के हालत उनको समझा सकूँ वो जज्बात कहाँ से लाऊँ ,
आवाज़ सूना सकूँ अपने धड़कन की वो आवाज़ कहाँ से लाऊँ ,
आँखों की भाषा पढ़ लें वो ऐसी भाषा मैं कहाँ से लाऊँ ,
लव की थरथराहट से ही मेरे सीने में छिपे राज वो पढ़ सकें ,
इंतज़ार कर रही हूँ जिस पल उनको अपने हालत बयां कर सकूँ ,
किसी रोज़ वो खुद ही आकर कह दें तेरे हर राज़ को समझता थे हम,
तुझे सताने के बहाने ढूंढते थे हम वरना तेरे पहलू में आकर ही
हर बात समझ लेते थे ऐ मेरे हमदम ॥
दिल के हालत उनको समझा सकूँ वो जज्बात कहाँ से लाऊँ ,
आवाज़ सूना सकूँ अपने धड़कन की वो आवाज़ कहाँ से लाऊँ ,
आँखों की भाषा पढ़ लें वो ऐसी भाषा मैं कहाँ से लाऊँ ,
लव की थरथराहट से ही मेरे सीने में छिपे राज वो पढ़ सकें ,
इंतज़ार कर रही हूँ जिस पल उनको अपने हालत बयां कर सकूँ ,
किसी रोज़ वो खुद ही आकर कह दें तेरे हर राज़ को समझता थे हम,
तुझे सताने के बहाने ढूंढते थे हम वरना तेरे पहलू में आकर ही
हर बात समझ लेते थे ऐ मेरे हमदम ॥
Bahut Khoob!
ReplyDeleteLovelorn Poetry