जिन राहों पर भारी क़दमों से रखता है, हर बचपन अपने क़दमों को,
एक हाथ जो सम्हाल कर, सही मार्ग दिखा कर चलाता है सबको ,
गलतियों पर डांट कर, अच्छाइयों पर ताली बजा प्रोत्साहित करता है जो,
माता - न पिता होता है, पर उनसे भी बढ़कर भलाई का मार्ग दिखाता है जो,
ऊंचाइयों पर पंहुचा दें, एक ही मकसद होता करता है मार्ग दर्शन जो ,
अध्यापक हर जीवन में हजरूरी, ये अब क्या समझना हमको ,
एक ही दिन उनके सम्मान का हो ऐसा तो जरूरी नहीं,
हर बचपन को सीखना होगा सम्मान करना उनका,
जिस समाज में अपमानित किया जा रहा है उनको ,
जो बनाते है भविष्य राष्ट्र के भावी नवजीवनों का,
अब तो उनके सम्मान के हक की लड़ाई के वास्ते बढ़ना होगा हर किसी को ,
सिर्फ अध्यापक दिवस मना कर ही जिम्मेदारियों से न भागना होगा,
शिक्षक और शिष्य के बीच फिर समन्वय बनाना होगा ॥
एक हाथ जो सम्हाल कर, सही मार्ग दिखा कर चलाता है सबको ,
गलतियों पर डांट कर, अच्छाइयों पर ताली बजा प्रोत्साहित करता है जो,
माता - न पिता होता है, पर उनसे भी बढ़कर भलाई का मार्ग दिखाता है जो,
ऊंचाइयों पर पंहुचा दें, एक ही मकसद होता करता है मार्ग दर्शन जो ,
अध्यापक हर जीवन में हजरूरी, ये अब क्या समझना हमको ,
एक ही दिन उनके सम्मान का हो ऐसा तो जरूरी नहीं,
हर बचपन को सीखना होगा सम्मान करना उनका,
जिस समाज में अपमानित किया जा रहा है उनको ,
जो बनाते है भविष्य राष्ट्र के भावी नवजीवनों का,
अब तो उनके सम्मान के हक की लड़ाई के वास्ते बढ़ना होगा हर किसी को ,
सिर्फ अध्यापक दिवस मना कर ही जिम्मेदारियों से न भागना होगा,
शिक्षक और शिष्य के बीच फिर समन्वय बनाना होगा ॥
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