Tuesday, January 28, 2014

pal

१. पहलू में अभी थे,जाने कहाँ चले गए,सारे जहाँ की खुशियां हमको थमा गये।

ढूंढते रह गए हम नज़र कहीं नहीं आये,आहट  भी नही हूँ वो सामने नज़र आये ॥

_______________________________________________________________

२. थाम दिल की धड़कन जुदा  हो रहे थे,चिलमन की ओट से वो मुस्कुरा रहे थे।

मुस्कुराहट में दर्द-ऐ-दिल छुपा रहे थे,जाएँ कैसे हम उनके अश्क रास्ता रोक रहे थे।।

__________________________________________________________________

३.इस शहर में आये हुए चार दिन न हुए थे ,तुम्हें मिलकर अभी चार पल न हुए थे ॥ 

नैन तेरे दीदार को हर पल क्यों तरसते थे,लब भी चार लफ्ज कहने को तरसते थे ॥ 

________________________________________________________________________

४. करती हूँ तेरा इंतज़ार बड़ी बेकरारी से,यकीन न हो तो पूछ लो बिस्तर की सिलवटों से । 

     हर पल  तड़प कर रह जाते हैं तुम्हारी बातों से ,अश्क थमते ही  नहीं हैं हमारी आँखों से ॥ 

No comments:

Post a Comment