१. कली थी किसी के आंगन की कल तक ,आज तुम्हारे चमन का फूल बन गयी हूँ ।
तेरे साये से लिपट जिंदगी बिता दूँ अपनी,तेरे आंगन में चांदनी सी खिलती ही रहूँ ।
प्यार इतना करूँ तुझको ऐ मेरे सनम , दामन को तेरे हमेशा महकाती यूँ ही रहूँ ,
ख्वाब भी आये तो मैं ही मैं रहूँ तेरे ख्वाबों में ,ख्वाब किसी का न आये ये दुआ करती ही रहूँ ॥
२. यूँ न चलाया करो तीर शब्दों के सनम ,नासूर बन जाते है भीतर दिल के ।
दर्द होता है जो उसे बयां कैसे करूँ ,हम ज़माने के मारे पहले ही हैं सनम ।
तुम जो समझ हमको एक बार लेते ,ज़माने में रुसवा न करते हमको ऐ सनम ॥
३. ऐसी भी खता क्या हो गयी है हमसे ,तुम हमें दो लफ्ज लिखने के काबिल नहीं समझते ,
हमने तो लिखे टूटे -फूटे दो शब्द ,लोग तो चाहत में शायर हो जाया करते हैं सनम ॥
No comments:
Post a Comment