Monday, January 20, 2014

drops

१. कली थी किसी के आंगन की कल तक ,आज तुम्हारे चमन का फूल बन गयी हूँ । 

 तेरे साये से लिपट जिंदगी बिता दूँ अपनी,तेरे आंगन में चांदनी सी खिलती ही रहूँ ।

प्यार इतना करूँ तुझको ऐ मेरे सनम , दामन को तेरे हमेशा महकाती यूँ ही रहूँ ,

ख्वाब भी आये तो मैं ही मैं रहूँ तेरे ख्वाबों  में ,ख्वाब किसी का न आये ये  दुआ करती ही रहूँ ॥ 

 

२. यूँ न चलाया करो तीर शब्दों के सनम ,नासूर बन जाते है भीतर दिल के । 

दर्द  होता है जो उसे बयां कैसे करूँ ,हम ज़माने के मारे पहले ही हैं सनम । 

तुम जो समझ हमको एक बार लेते ,ज़माने में रुसवा न करते हमको ऐ सनम ॥

३. ऐसी भी खता क्या हो गयी है हमसे ,तुम हमें दो लफ्ज लिखने के काबिल  नहीं समझते ,

हमने तो लिखे टूटे -फूटे दो शब्द ,लोग तो चाहत में शायर  हो जाया करते हैं सनम ॥

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