Monday, January 20, 2014

panktiyan

1.ये क्या हम एक-दो पल को क्या गए दूर ऐ दोस्त, आपका नज़र आना ही हो गया मुश्किल ऐ दोस्त ॥
आपकी एक पंक्ति में हम  अपना वज़ूद ढूंढते हैं हर रोज़ ,आप के एक लफ्ज़ को देखने को आज तरस रहे हैं ॥


2. जुदा  होकर इस तरह कहाँ खो गए हो सनम ,ढूंढ रहे इधर-उधर हर तरफ मेरे कदम ॥

दिन बीता जाये न आये नज़र आप यहाँ,ऐ मेरे अज़ीज ऐसे तुम खो गए हो कहाँ

3.जा रहे हैं हम अब नहीं जानते कब आयंगे , इतना यकीन है तेरी आहट होते ही झलक दिखा जरूर देंगे ॥

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