बेटी की विदा
आज विदा हो रही है फिर किसी माँ की प्यारी बेटी,
आँचल में मुंह छिपा रो रही बेटी ।
आंसुओं संग थपथपा कर सीख दे रही माँ ,
ये घर बेगाना हुआ तेरे लिए आज से मेरी बेटी ।
हुए हैं दो परिवार आज से एक मगर,
नहीं हुए हैं दो घर अभी एक,ये जान लेना मेरी बेटी ,
दिलों के ग़मों को आंसूंओं में बहा देना ,
पर नहीं लाना दिल की उदासी चेहरे पर मेरी बेटी ।
बदल जायेगी तेरे हर रिश्ते की तस्वीर ,
किसी की बहु किसी की हुई आज से भाभी ,
हुए घर मे अगर नन्हे-मुन्ने ,
तो अभी से बन जायेगी तो उनकी भी चाची और मामी ।
यहाँ की यहीं पर अब छोड़ जाना ,
वहाँ कि ख़ुशी और गम को तुम अपना लेना ,मेरी बेटी ,
दो घरों की इज्जत आज से तेरे ही हांथों में सौपती हूँ
ये इज्ज्त यूँ ही बनाये रखना मेरी प्यारी बेटी ।
Just BEAUTIFUL
ReplyDeletethanks.......
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