Saturday, October 31, 2015

मेरा सच्चा प्यार

हम तो बस हैं उस खुदा के मुरीद, जहाँ में जन्म लेने का मिला है जो अवसर हमको,
उसकी बनायीं धरा खूबसूरत, घाटियां खूबसूरत, पहाड़ खूबसूरत,
वादियां खूबसूरत, नदी की धारा मिले समंदर में वो नज़ारा खूबसूरत,
न कोई बना सकता इससे खूबसूरत कोई मंज़र खूबसूरत,
नज़र जाये जिस तरफ भी जिस शख्स पर वो हर शख्स खूबसूरत,
उसकी पूजा से मिले जो शांति वो सुकून बहुत ही खूबसूरत,
सोचते हैं सब मैं सबसे बड़ा, सबसे खूबसूरत मेरी नज़र में तो उसका नूर खूबसूरत,
उसके नैनों में खुद को बसा लूँ, दिल में अपने उसकी तस्वीर बसा लूँ ,
ऐ दुनिया बनाने वाले इस धरा पर तुझसे अलबेला न कोई और है ,
न है कोई इस जहाँ में जिसको चाहूँ इस कदर तू अपनी रहमत हम पर रखना,
हम तो बस है उस परमात्मा से प्यार , उसकी नज़रों में हैं हम सबसे खूबसूरत ॥


Thursday, October 29, 2015

मेरा शहर

ज़ुबाँ जिस शहर की तहज़ीब से भरी है,
नवाबों का शहर जिसे कहते हैं,
उसी लखनऊ शहर के हम रहने वाले हैं,
उस  शहर और शहर की धरोहरों पर हमको बड़ा ही नाज़ है। 

Wednesday, October 7, 2015

अस्तित्व तेरा

मत सोचना इस जहाँ में तुझसे भी कोई है बड़ा, तेरे अस्तित्व के बीच बस पुरुष का है दम्भ खड़ा ,

डरता  है इस बात से वो जन्म देने वाली ऐ नार तू न बढ़ जाये उससे आगे अपने क़दमों को बढ़ा,

जिस देश के कण- कण में बसी सीता, अहिल्या की कथा, उस देश के पुरषों में तेरा ही अस्तित्व है बड़ा ,

इस धरा की तू ही है जननी सत्य बस यही है न कुड और है बडा सृष्टि के रचयिता भी तेरे ही जने  कोई भी सत्य न है इससे बडा