Tuesday, September 29, 2015
दरख्त एक रेगिस्तान का,
जिन राहों में कदम बढ़ाने को जहाँ हर कोई कतराता था ,
बना है हर कोई हर किसी के लिए, हो अलग भले ही इस जहाँ में ॥
Monday, September 7, 2015
#My2MinutePoem बस यूँ हीं
हम शबनम की वो बूँद हैं,
हाथों से यूँ ही गुम हो जायेंगे,
पर सितारों की वो टिमटिम हैं,
दिलों के आस्मां पर हरदम ही रह जायेंगे,
इस खौफ के साथ जीते ही रहेंगे,
न जाने कब इस शाम का दिया,
हवा के एक झोंके से बुझ जायेगा,
एक किरण सी इस मन के किसी कोने में फिर भी है,
एक रोज़ आकर वो आसरा हमें दे ही जायेंगे,
मेरे लवों को अपने प्यार से सी जायेंगे ॥
हाथों से यूँ ही गुम हो जायेंगे,
पर सितारों की वो टिमटिम हैं,
दिलों के आस्मां पर हरदम ही रह जायेंगे,
इस खौफ के साथ जीते ही रहेंगे,
न जाने कब इस शाम का दिया,
हवा के एक झोंके से बुझ जायेगा,
एक किरण सी इस मन के किसी कोने में फिर भी है,
एक रोज़ आकर वो आसरा हमें दे ही जायेंगे,
मेरे लवों को अपने प्यार से सी जायेंगे ॥
Sunday, September 6, 2015
अल्फाज़ मेरे
अल्फाज़ मेरे उनको समझा सकूँ वो अलफ़ाज़ मैं कहाँ से लाऊँ,
दिल के हालत उनको समझा सकूँ वो जज्बात कहाँ से लाऊँ ,
आवाज़ सूना सकूँ अपने धड़कन की वो आवाज़ कहाँ से लाऊँ ,
आँखों की भाषा पढ़ लें वो ऐसी भाषा मैं कहाँ से लाऊँ ,
लव की थरथराहट से ही मेरे सीने में छिपे राज वो पढ़ सकें ,
इंतज़ार कर रही हूँ जिस पल उनको अपने हालत बयां कर सकूँ ,
किसी रोज़ वो खुद ही आकर कह दें तेरे हर राज़ को समझता थे हम,
तुझे सताने के बहाने ढूंढते थे हम वरना तेरे पहलू में आकर ही
हर बात समझ लेते थे ऐ मेरे हमदम ॥
दिल के हालत उनको समझा सकूँ वो जज्बात कहाँ से लाऊँ ,
आवाज़ सूना सकूँ अपने धड़कन की वो आवाज़ कहाँ से लाऊँ ,
आँखों की भाषा पढ़ लें वो ऐसी भाषा मैं कहाँ से लाऊँ ,
लव की थरथराहट से ही मेरे सीने में छिपे राज वो पढ़ सकें ,
इंतज़ार कर रही हूँ जिस पल उनको अपने हालत बयां कर सकूँ ,
किसी रोज़ वो खुद ही आकर कह दें तेरे हर राज़ को समझता थे हम,
तुझे सताने के बहाने ढूंढते थे हम वरना तेरे पहलू में आकर ही
हर बात समझ लेते थे ऐ मेरे हमदम ॥
Saturday, September 5, 2015
शिक्षक दिवस
जिन राहों पर भारी क़दमों से रखता है, हर बचपन अपने क़दमों को,
एक हाथ जो सम्हाल कर, सही मार्ग दिखा कर चलाता है सबको ,
गलतियों पर डांट कर, अच्छाइयों पर ताली बजा प्रोत्साहित करता है जो,
माता - न पिता होता है, पर उनसे भी बढ़कर भलाई का मार्ग दिखाता है जो,
ऊंचाइयों पर पंहुचा दें, एक ही मकसद होता करता है मार्ग दर्शन जो ,
अध्यापक हर जीवन में हजरूरी, ये अब क्या समझना हमको ,
एक ही दिन उनके सम्मान का हो ऐसा तो जरूरी नहीं,
हर बचपन को सीखना होगा सम्मान करना उनका,
जिस समाज में अपमानित किया जा रहा है उनको ,
जो बनाते है भविष्य राष्ट्र के भावी नवजीवनों का,
अब तो उनके सम्मान के हक की लड़ाई के वास्ते बढ़ना होगा हर किसी को ,
सिर्फ अध्यापक दिवस मना कर ही जिम्मेदारियों से न भागना होगा,
शिक्षक और शिष्य के बीच फिर समन्वय बनाना होगा ॥
एक हाथ जो सम्हाल कर, सही मार्ग दिखा कर चलाता है सबको ,
गलतियों पर डांट कर, अच्छाइयों पर ताली बजा प्रोत्साहित करता है जो,
माता - न पिता होता है, पर उनसे भी बढ़कर भलाई का मार्ग दिखाता है जो,
ऊंचाइयों पर पंहुचा दें, एक ही मकसद होता करता है मार्ग दर्शन जो ,
अध्यापक हर जीवन में हजरूरी, ये अब क्या समझना हमको ,
एक ही दिन उनके सम्मान का हो ऐसा तो जरूरी नहीं,
हर बचपन को सीखना होगा सम्मान करना उनका,
जिस समाज में अपमानित किया जा रहा है उनको ,
जो बनाते है भविष्य राष्ट्र के भावी नवजीवनों का,
अब तो उनके सम्मान के हक की लड़ाई के वास्ते बढ़ना होगा हर किसी को ,
सिर्फ अध्यापक दिवस मना कर ही जिम्मेदारियों से न भागना होगा,
शिक्षक और शिष्य के बीच फिर समन्वय बनाना होगा ॥
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