थक गए है तेरे दिए दर्द से ऐ मेरे सनम ,
कभी तो शुक्रिया भी अदा कर दिया करो ऐ सनम ,
सहते-सहते दर्द अब बनते जा रहे हैं नासूर सनम ,
कभी तो मोह्हबत भी कर लिया करो सनम ॥
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आज तन्हाइयाँ फिर जाने क्यूँ अच्छी लगने लगी हैं,
तेरे पास न होने का अहसास अच्छा लगने लगा है ,
जाओ कहीं भी सनम न लाएंगे तेरी याद को दिल में ,
तुझसे दूर रहना आज अच्छा लगने लगा है ॥
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