नीला आसमान आज फिर से अच्छा लगने लगा है ,
ऊंचाइयां छूटे परिंदे देखना फिर अच्छा लगने लगा है।
बादलों को चीरती उषा की किरणें देखना अच्छा लगने लगा है ,
तपती दुपहरिया में सर चढ़ते सूरज को देखना अच्छा लगने लगा है ।
टहनियों पर बैठे चहचहाते पक्षिओं को देखना अच्छा लगने लगा है ,
सांझ ढले चन्द्रमा की रौशनी में नहायी चांदनी को देखना अच्छा लगने लगा है ,
न कोई गम न उदासी बस यूँ ही हर किसी को निहारना अच्छा लगने लगा है ॥
ऊंचाइयां छूटे परिंदे देखना फिर अच्छा लगने लगा है।
बादलों को चीरती उषा की किरणें देखना अच्छा लगने लगा है ,
तपती दुपहरिया में सर चढ़ते सूरज को देखना अच्छा लगने लगा है ।
टहनियों पर बैठे चहचहाते पक्षिओं को देखना अच्छा लगने लगा है ,
सांझ ढले चन्द्रमा की रौशनी में नहायी चांदनी को देखना अच्छा लगने लगा है ,
न कोई गम न उदासी बस यूँ ही हर किसी को निहारना अच्छा लगने लगा है ॥
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