Tuesday, July 13, 2021

गुलाब का फूल 🌹

 


मै और मेरी बगिया के वो गुलाब🌹 के अनमोल  पौधे 🌳

हर रोज उन पर अनगिनत फूलों 💐का खिल जाना, 

हम दोनों का आपस में एक दूसरे को देख मुस्कुराना 😊

भोर की किरण💫 की लालिमा सा उनका खिल जाना, 

मुझे मोहता है उनकी  महक और खिला चटक रंग, 

कभी धूप से बचाना उनको, कभी धूप में रख आना, 

कभी सूखती टहनी🌿 को काटना, कभी प्यार से सहलाना 🤲

कभी खुद के बालों में सजाना,कभी प्रभु चरणों 💅में चढाना, 

हाँ महसूस मैंने किया है उनकी खुशबू से  प्रभु का मुस्कुराना 💕

काँटों🌵 के बीच रह कर भी उन फूलों 💐का यूँ मुस्कुराना, 

मुझे जिन्दगी🫀 जीने के लिए  मुश्किलों से लडना सिखाते हैं वो,

अपनी तरह हर हाल में महकना।सिखाते हैं वो गुलाब🌹 के फूल, 

मै सोचती हूँ अक्सर मेरा रिश्ता 🤝उनसे शायद है बहुत पुराना, 

तभी तो बगिया के हर गुलाब के फूल🌹 दोस्त बन महकाते हैं मेरी दुनिया।।

मैं और मेरी बगिया के वो गुलाब के फूल 🌹🌹🌹🌹



✍️  Hem lata srivastava 


उत्सव

 🌹उत्सव 🌹


चहल-पहल से भरा हुआ था उस रोज घर 🏠मेरा,

कोई इधर और कोई उधर भाग🏃‍♀️ रहा था, 

हडबडी नही पर हलचल 💃🏼चारों तरफ मची थी,

बंदनवार 🥀🌺और जलबुत बिजलियों से हर दरवाजा⛩️ सजा हुआ  था,

इतने शोरशराबे के बीच धडकनें🫀 तेज मेरी थीं ,

बारात आ गई है ये सुन 🫀कलेजा मुँह को आ गया था, 

माना वो राजकुमार 🤴मेरे  अपने सपनों का था,

पर मुझे मेरे घर 🏠से तो दूर ले जाने आ रहा था, 

नयी दुनिया में जाने की इक ओर खुशी 💃🏼थी,

माँ-पिता के छूट जाने का दिल में गम😔 बड़ा था,

दुनिया की रीत है बेटी पराया करने की जो,

माता-पिता 👨‍👨‍👧‍👧खुशी-खुशी वो निभाने के लिए उत्सुक बड़े थे,

उस रोज 🌹उत्सव🌹 में हर  शख्स  खुश बहुत था,



दुनिया गोल है

 आज सुबह सवेरे कहाँ? मै बोली आज ऑफिस में बडी अर्जेन्ट प्रेजेन्टेशन है माँ जी, मैंने सब काम कर दिया है चलती हूँ आशीर्वाद दीजिये 🙌 कहकर रैना ऑफिस के लिए निकल गयी। 

शाम को लौटते समय मेट्रो के लिए इन्तजार कर रही थी तभी एक हाथ उसके कंधे पर आया,  मुडकर देखा समझ नहीं आ रही था कि वो अनजान कौन है!

बस पहचानने की कोशिश कर रही थी तभी वो बोली अरे मुझे पहचाना नहीं?

रैना ने न में  सर हिला दिया। 

मन मस्तिष्क अभी भी ऊहापोह में था तब तक मेट्रो आ गई और वो जाकर सीट पर बैठ गयी साथ में वो अन्जानी भी।

वह एक लिफाफा थमाते हुए बोली यह ले अपनी अमानत!

मैंने असमंजस में फिर उसकी ओर देखा!

तब उसने मुझे याद दिलाते हुए बोला मैं संगीता, कालेज में साथ ही थी वो बात अलग थी कि तूने मुझे अपने दोस्तों की फेरहिस्त से दूर रखा था, पर तेरा वह अहसान कभी नही भूल सकती। 

उस दिन मेरे कॉलेज की फीस भरने का आखिरी दिन था, घर से पैसों का इंतजाम हो नहीं सका था, हॉस्टल की भी फीस देनी थी अगर उस वक्त तूने इंतजाम नहीं किया होता तो आज शायद में यहां नहीं खड़ी होती आज मैं एक अच्छी कंपनी में मैनेजर रैंक पर हूं, सिर्फ और सिर्फ तेरी वजह से तेरी वजह से मेरा एमबीए कंप्लीट हुआ और अच्छी जॉब भी मिली!  मैंने पहली सैलरी से ही तेरा यह लिफाफा तैयार करके रखा था, तूने न हीं अपना नंबर दिया और ना ही एड्रेस" तेरे यह पैसे में कहां पहुंचाती, समझ में नहीं आ रहा था पर भरोसा था, यह दुनिया गोल है एक न एक दिन तो तू मिलेगी और आज  मिल गई।

 यह तेरे पैसे इसके लिए जितना भी शुक्रिया करूं कम है चलो आज चलते हैं, घर पर खाना खा कर फिर जाना। मैं बोली नहीं आज नहीं घर पर सासू मां इंतजार करती होंगी आज मैं जरा जल्दी निकली थी ,और  हम लोगों ने आपस में संपर्क बनाए रखने के लिए फोन नंबर एक्सचेंज किए।

 सही बात है दुनिया गोल है इंसान कभी ना कभी एक दूसरे से टकरा ही जाता है।


अमावस की रात 🌑

 🌑


वो थी इक मनहूस अमावस की रात 🌑

जिस दिन छूटा मुझसे बाबूजी🧍 का साथ, 

मुझे जिन्दगी के मायने  अभी सिखाने थे उनको,

मेरा हाथ 🤝पकड़ कर चलना सिखाना  था उनको,

मुझे जमाने से लडकर जीतना💪 सिखाना था उनको, 

माँ की याद आने न दी कभी प्यार💕 इतना बरसाया ,

दुनिया, जहान से बहुत न्यारे थे मेरे बाबूजी, 

भीगने भी न दिए कोर मेरी ऑखों 👀के, 

पर न जाने कैसी आयी वो अमावस🌑 की रात, 

मेरा सब कुछ खत्म कर गई वो मनहूस अमावस🌑 की रात ।।



वक्त की धार 📌

 


क्या है ये वक्त की धार?

हर पैमाने पर इन्सान को परखने का नाम है वक्त की धार, 

हर घड़ी नयी चुनौती के लिए तैयार करने का नाम है वक्त की धार, 

मंजिलों की ओर कदमों को बढाने का नाम है वक्त की धार, 

छुरी से भी तेज होती है दोस्तों ये वक्त की धार,

जो घायल हो गया वो मार खाता है वक्त की धार से, 

जो जीत कर मंजिल पा जायँ उनका साथ देती है वक्त की धार।।


खत जो भेज न सके

✍✍

कुछ थी उम्र कच्ची, कुछ नादानियाँ, 💕

तुमको देखा तो धडकनें🫀 हो गयी थी जवाँ ,

देखते ही दिल दे बैठे थे, मन भी बस में नहीं था, 

जाने ये प्रेम था, या अल्हड़ 👩‍🦰जवानी का भ्रम था, 

उस रोज से कई पन्नों 🗒️पर कुरेदे थे अल्फाज़ों के मोती, 

अन्जान थी मैं तुम्हारे दिल 🫀के जज्बातों से,

हर रोज लिखती ✍️रही थी अपने दिल🫀 के हालात उन खतो 🗒️में, 

इक गुलाब 🌹 का फूल भी हर खत में रख देती थी,

पता न पता था, 😔न खबर कोई तुम्हारी थी,

दिल 🫀का चैन छीन, जाने कहाँ तुम खो गए थे, 

संजोये थे बडे सिद्दत💕 से मैंने उन खतों को,

इत्र की खुशबुओं से भी तरबतर उन खतो 💌को  किया था, 

पिरोये हैं अपना हाल-ए-दिल उन सुनहरे पन्नों पर ,

आज भी बेचैन हूँ क्योंकि न भेज सकी मैं उन खतो🗒️ को।


✍️गरीबी मिटाने के उपाय ✍️

 

मत लगाओ अमीरों!  गरीबी मिटाने के बस  नारे,

न केवल हिंदुस्तान की, गरीबी है विश्वव्यापी महामारी, 

नाम के वास्ते तुम  न बनो सुर्खियां अखबारों की, 

सुरसा की तरह मुँह फैलाती जा रही  है ये गरीबी, 

अब निभाने होगी हर व्यक्ति और समाज को ये जिम्मेदारी, 

बनाना होगा साक्षर सभी को, खत्म करनी होगी बाल मजदूरी, 

खत्म करनी होगी सबसे पहले समाज मे फैली बेरोजगारी, 

खुद ही उठाने होंगे कदम,  जनसंख्या वृद्धि को रोकने के वास्ते, 

है जरूरत लघु उद्योगों के वास्ते कुछ  कर्ज  माफी की,

नही है सिर्फ़ सरकार की, है हर इंसान की ये जिम्मेदारी,

किसी को बस्ता, किसी को कपडा,किसी को देना रोजगारी,

किसी को सर पर छत की लेनी होगी हमको जिम्मेदारी, 

गरीब को न समझना गरीब कभी भी, उन्ही से चलती जिन्दगी हमारी,

ठान लें  दिलों  में गर तो,  मिटा ही देंगे गरीबी और भुखमरी 

आओ मिलकर🤝🤝 हम सब भी कुछ तो निभायें अपनी जिम्मेदारी, 



प्रदूषण

 प्रदूषण की मार से हैरान है बच्चे, बूढ़े और जवान, 

अब तो वीरान सा हो गया है नीला आसमान, 

पक्षियों की चहचहाट से रहता था जो गुंजायमान, 

परत दर परत से घुट रहा है अंतरिक्ष का ऑगन, 

तंग हो गये हैं तालाबों और नदियों के तट ,

धरा बन  गयी है प्लास्टिक और कचरे की खान,

धुंधला गये हैं तारे, सूरज और गगन का चाँद, 

अस्त व्यस्त हो गयी धरा है किससे करे दुख का बयान, 

हवा का बदला ऐसा रूख कि बिगड़ गया है सबका जीवन, 

आओ मिलकर प्रण ले  बचा लें धरती का सम्मान, 

बच्चों के लिए करना होगा हमको  शुद्ध धरा का निर्माण, 



Monday, June 28, 2021

Shuruaat

 एक नयी शुरुआत 


चलो इक बार फिर नयी शुरुआत के करते हैं, 

मंजर भयावह जो बीत गया उसे भूल 

अपनों संग दो घड़ी के लिए फरियाद करते हैं 

न अब कोई किसी का न टूटे,  बिखरे हुए हैं जो उनके लिए अरदास करते हैं 

न अब किसी का अपना बिछुडे,न कोई अब  बेसहारा रह जाये 

चलो सब मिलकर एक बार खुदा से 

इस जहाँ के लिए फरियाद करते हैं

Thursday, June 24, 2021

अहमियत

 विषय- अहमियत 


रेगिस्तान में खडे दरख्त 🌴🌴की अहमियत थके पथिक👩‍🦯 से पूछो, 

सूखे तालाब में दिखती इक बूंद 💧पानी की अहमियत प्यासे 😔 से पूछो, 

महामारी के इस दौर में जंग जीतने की  जद्दोजहद में 😔

इक -इक साँस के लिए लडते रहे जो  आक्सीजन की  अहमियत उनसे पूछो।

पहली झलक

 उम्र अल्हड़ थी, बेफिक्र💃🏼 सी इधर उधर चहकती  रहती थी, 

इम्तिहान के लिए घर से निकली ही थी, कदम जल्दी-जल्दी🏃‍♀️ बढाती जा रही थी, 

नरम, मुलायम वो छोटे से हाथों ने🤲मुझे इक कागज का टुकड़ा🗒️ थमा गया था, 

इक पल के लिए दिल 🫀धडका, खुद को सम्हाला, हाथों 🤲के पसीने को पोंछ बढ गई थी, 

हाथ इम्तिहान ✍️✍️में व्यस्त थे पर दिल उस टुकड़े में था, 

रात नींद कोसों दूर थी, कागज के टुकड़े पर लिखे अल्फाज़ पढूं कैसे,

ऊहापोह में कब नींद 😞आ गई पता ही न चला,

मुट्ठी में दबे टुकड़े 🗒️की सरसराहट से नींद जो खुली,

धडकते दिल 🫀से अल्फाज़ों को पढ़े जा रही थी, 

जिसको देखा न था, कभी सामना ही न हुआ जिससे था,

प्यार के इज़हार संग मिलने का मुझसे मनुहार उसने किया था, 

चल पडी थी उस अन्जान से मिलने, कदम भी थरथरा रहे थे, 

 मिली जिस घड़ी उसकी पहली झलक  तन बदन में हुई झनझनाहट मुझे याद आज भी है। 

वो पहली झलक, पहली मुलाकात😊💐 याद आज भी 


Tuesday, June 22, 2021

वर्तमान और भविष्य

 बेवजह कल की फिक्र में खुद को जलाया🔥 न करो, 

जो आज है उसे जी भर जी कर मुस्कुराया करो😊

न जाने कल क्या होगा यह सोच कर आज को बरबाद न करो😘

कल की फिक्र में बहुत कुछ संचय न करो,

जो जरूरी है कल के लिए बस उतना ही बचाया करो⌛

जिन्दगी जीने के वास्ते खुद को कर्जदार न बनाओ

अपने सपनों को दो इतनी उडान💃🏼 की कल खुद ही संवर जाये, 

कुछ भूलकर,  कुछ माफ कर 🙏अपना आज और कल बेहतर बना लो, 

आज गर हैं मुश्किलें तो भी मुसुकुरा लो, 😊कल के उजाले का विश्वास कर लो,

ये जो वक्त दिया है रब ने तहे दिल से शुक्रिया कर लो💐

बेवजह कल की फिक्र में खुद को जलाया न करो। 


Thursday, June 17, 2021

अधूरे सपनों की दास्ताँ

 अधूरे सपनों की दास्ताँ 


सपने कौन नहीं देखता, किसी के रह जाते अधूरे, कोई  कर लेता पूरे अरमान, 

कुछ ऐसी ही दास्ताँ है मेरे  भी सपनों की अधूरी  दास्ताँ,

अवसाद से भरी जरूर थी,पर मन में उत्साह अपार था,

रोशनी की किरण दिखाने वाला संग कोई अपना न था, 

अपनों संग रहकर भी अपनों से तिरस्कृत थी मैं, 

चाहा था खुद की एक अलग पहचान बनाऊंगी, जग मे अपना नाम करूँगी, 

अभी कदम बढाया ही था,  पंखों को फैलाया ही था, 

धीरे-धीरे ही सही मंजिलों की ओर कदमों को बढाया ही था,

जलजला इस महामारी का कुछ इस तरह आया,

सपनों को छोडो यारों, वो तो अपनों को भी बहा ले गया, 

अब कोई सपना न रहा,  संग कोई अपना न रहा,

लडखडा  कर इक बार  फिर से खुद को सम्हालने में लग गयी हूँ मैं, 

 फिर इक बार अपने अधूरे सपनों को पूरा करने उठ खडी हुई हूँ मैं। 


Hem lata srivastava 

किस्मत का खेल

 विषय - किस्मत का खेल 


किस्मत के खेल से बच न सका कोई, 

रंक हो या राजा हो, नर हो नारायण 

किस्मत के खेल से बच न सका कोई, 

पुत्र विछोह दशरथ का, कैकेई माथे कलंक,

राम- सीता का बिछुड़ना किस्मत का खेल था,

अहाल्या का शीलहरण, द्रौपदी का चीरहरण, 

बाल लीला से रास लीला कृष्ण की किस्मत का खेल था, 

कृष्ण-राधा का बिछुड़ना किस्मत का खेल था, 

बावरी बनी मीरा वन-वन फिरी, किस्मत का खेल था, 

दासता परतंत्रता से स्वतन्त्रा के  दौर की, किस्मत का खेल था 

वक्त के साथ सब हार -जीत का खेल है 

मुकद्दर से लडकर वक्त को हराने का जज्बा भी किस्मत का खेल है ,

किस्मत के खेल  से बच न सका कोई, 



Hem lata srivastava 

पर्यावरण

 एक नजर पर्यावरण पर

मैं चीखता रह गया तुम अपंग बनाते रहे, 

मै सिसकता रहा तुम मुझे पूरा ही नष्ट करते रहे, 

आसमान को नील गगन कहने वाले तुम उसे बदरंग बनाते रहे, 

पहाड़ों पर बसने की चाह में पहाडों को मिटाते रहे, 

कुछ तो रहने दो खुद की पीढी के वास्ते,

खुद के सुख की चाह में क्यों मुझको (प्रकृति) मिटाते जा रहे।


हेम लता 




साहस

 मन को समझने वाली माँ, 

भविष्य पहचानने वाला पिता 

दोनों के अदम्य साहस पर 

पुत्र या पुत्री का भविष्य है टिका

कतरों से खुद के सींच नवजीवन का संचार करना साहस माँ का है ,

कतरा -कतरा सहेज संतान का भविष्य संवारना साहस पिता का है ।


Hem lata srivastava 

पिता का प्रेम

 एक पिता के प्रेम की अजब ये दास्ताँ है,

ऑखों में झलकता नहीं पर दिल में प्यार अपार है, 

कभी ऊँगली पकड़  चलना सिखाया कभी काँधे पर बिठाया ,

संस्कारों और अनुशासन का हर पल पाठ पढाया, 

जीवन के हर पथ पर साथ रह हौसला बढाया, 

जिंदगी की डोर को थाम आगे बढना सिखाया,

ऑखों में ऑंसू आने से पहले एक महकता  रूमाल आगे बढाया, 

डरना नहीं,  थमना नहीं हर पल ये ही पाठ पढाया, 

पुत्र/पुत्री के कल को संवारने के वास्ते खुद को कभी जिसने  न शिथिल किया, 

कभी आसमान तो कभी धरा पिता है,

कभी अभिमान पिता है, पुत्र हो या पुत्री का स्वाभिमान पिता है, 

एक उम्मीद इक आस पिता है 

मेरे लिए तो बस एक संपूर्ण संसार पिता है। 


Hem lata srivastava 


Wednesday, June 16, 2021

बरसात की रात

 बरसात की रात ⚡⚡⛈️⛈️

ताउम्र याद रहेगी मुझे वो ठिठुरती  बरसात की रात, ⛈️⛈️

याद तुम भी बहुत आई थी माँ 👩‍👦उस बरसात की रात, 

दस बरस की मै, अक्ल से भी न बडी न थी बहुत, 

थी दिसम्बर की ठिठुरती, कंपकंपाती सी वो अंधेरी रात, 

इक तरफ पानी झमाझम बरसना, आसमां में बिजली ⚡⚡का तडकना,

जा रहे थे बाबूजी, अपने काम से  टूर पर उस रात, 🚆

न थी उस दिन गैस और लकडियाँ भी नम हो रही थी, 

बनाना था भोजन रास्ते में ले जाने के वास्ते,

वो इक ओर बाबूजी का बडबडाना, और मेरे हाथों का काँप जाना,

जितनी बार भी चूल्हे को जलाती, उतना धुएं से ऑखों का जल जाना,

बन तो गये आलू 🥔🥔जैसे तैसे,अब था पूरी के लिए जुगत लगाना,

ठंड से तन काँप रहा था, मन का वो डर से कंपकंपाना, 😫

माँ तेरा न होना मुझे अंदर तक रूला रहा था उस रात, 

कडाही को चढा चूल्हे पर,  नन्हें हाथों से पूरियाँ का बेलना,

भीगी लकडियाँ का सुलगना दूजी ओर पूरियों का ऐंठ जाना,

बरसती बूंदों का तेल में  गिरना और तेल का कडकडाना,

एक हाथ से कडाही में पूरी डालना तो दूजे से थाली का ढक देना,

न जाने कैसे बनाये था बाबूजी और सबके वास्ते मैंने निवाले,

ठंड में कांपते हाथों से बर्तन मांजना,  बिस्तर का लगाना, 

माँ बहुत रोईं थी सिसक-सिसक उस बरसात⛈️⛈️ की रात,

तेरे दामन को मुझसे छीनने के वास्ते😭 नाराज़ उस खुदा से थी उस रात, 

उम्र के इस पड़ाव में आकर भी नहीं भूलती मुझे वो बरसात ⛈️ की रात।