Monday, June 28, 2021

Shuruaat

 एक नयी शुरुआत 


चलो इक बार फिर नयी शुरुआत के करते हैं, 

मंजर भयावह जो बीत गया उसे भूल 

अपनों संग दो घड़ी के लिए फरियाद करते हैं 

न अब कोई किसी का न टूटे,  बिखरे हुए हैं जो उनके लिए अरदास करते हैं 

न अब किसी का अपना बिछुडे,न कोई अब  बेसहारा रह जाये 

चलो सब मिलकर एक बार खुदा से 

इस जहाँ के लिए फरियाद करते हैं

Thursday, June 24, 2021

अहमियत

 विषय- अहमियत 


रेगिस्तान में खडे दरख्त 🌴🌴की अहमियत थके पथिक👩‍🦯 से पूछो, 

सूखे तालाब में दिखती इक बूंद 💧पानी की अहमियत प्यासे 😔 से पूछो, 

महामारी के इस दौर में जंग जीतने की  जद्दोजहद में 😔

इक -इक साँस के लिए लडते रहे जो  आक्सीजन की  अहमियत उनसे पूछो।

पहली झलक

 उम्र अल्हड़ थी, बेफिक्र💃🏼 सी इधर उधर चहकती  रहती थी, 

इम्तिहान के लिए घर से निकली ही थी, कदम जल्दी-जल्दी🏃‍♀️ बढाती जा रही थी, 

नरम, मुलायम वो छोटे से हाथों ने🤲मुझे इक कागज का टुकड़ा🗒️ थमा गया था, 

इक पल के लिए दिल 🫀धडका, खुद को सम्हाला, हाथों 🤲के पसीने को पोंछ बढ गई थी, 

हाथ इम्तिहान ✍️✍️में व्यस्त थे पर दिल उस टुकड़े में था, 

रात नींद कोसों दूर थी, कागज के टुकड़े पर लिखे अल्फाज़ पढूं कैसे,

ऊहापोह में कब नींद 😞आ गई पता ही न चला,

मुट्ठी में दबे टुकड़े 🗒️की सरसराहट से नींद जो खुली,

धडकते दिल 🫀से अल्फाज़ों को पढ़े जा रही थी, 

जिसको देखा न था, कभी सामना ही न हुआ जिससे था,

प्यार के इज़हार संग मिलने का मुझसे मनुहार उसने किया था, 

चल पडी थी उस अन्जान से मिलने, कदम भी थरथरा रहे थे, 

 मिली जिस घड़ी उसकी पहली झलक  तन बदन में हुई झनझनाहट मुझे याद आज भी है। 

वो पहली झलक, पहली मुलाकात😊💐 याद आज भी 


Tuesday, June 22, 2021

वर्तमान और भविष्य

 बेवजह कल की फिक्र में खुद को जलाया🔥 न करो, 

जो आज है उसे जी भर जी कर मुस्कुराया करो😊

न जाने कल क्या होगा यह सोच कर आज को बरबाद न करो😘

कल की फिक्र में बहुत कुछ संचय न करो,

जो जरूरी है कल के लिए बस उतना ही बचाया करो⌛

जिन्दगी जीने के वास्ते खुद को कर्जदार न बनाओ

अपने सपनों को दो इतनी उडान💃🏼 की कल खुद ही संवर जाये, 

कुछ भूलकर,  कुछ माफ कर 🙏अपना आज और कल बेहतर बना लो, 

आज गर हैं मुश्किलें तो भी मुसुकुरा लो, 😊कल के उजाले का विश्वास कर लो,

ये जो वक्त दिया है रब ने तहे दिल से शुक्रिया कर लो💐

बेवजह कल की फिक्र में खुद को जलाया न करो। 


Thursday, June 17, 2021

अधूरे सपनों की दास्ताँ

 अधूरे सपनों की दास्ताँ 


सपने कौन नहीं देखता, किसी के रह जाते अधूरे, कोई  कर लेता पूरे अरमान, 

कुछ ऐसी ही दास्ताँ है मेरे  भी सपनों की अधूरी  दास्ताँ,

अवसाद से भरी जरूर थी,पर मन में उत्साह अपार था,

रोशनी की किरण दिखाने वाला संग कोई अपना न था, 

अपनों संग रहकर भी अपनों से तिरस्कृत थी मैं, 

चाहा था खुद की एक अलग पहचान बनाऊंगी, जग मे अपना नाम करूँगी, 

अभी कदम बढाया ही था,  पंखों को फैलाया ही था, 

धीरे-धीरे ही सही मंजिलों की ओर कदमों को बढाया ही था,

जलजला इस महामारी का कुछ इस तरह आया,

सपनों को छोडो यारों, वो तो अपनों को भी बहा ले गया, 

अब कोई सपना न रहा,  संग कोई अपना न रहा,

लडखडा  कर इक बार  फिर से खुद को सम्हालने में लग गयी हूँ मैं, 

 फिर इक बार अपने अधूरे सपनों को पूरा करने उठ खडी हुई हूँ मैं। 


Hem lata srivastava 

किस्मत का खेल

 विषय - किस्मत का खेल 


किस्मत के खेल से बच न सका कोई, 

रंक हो या राजा हो, नर हो नारायण 

किस्मत के खेल से बच न सका कोई, 

पुत्र विछोह दशरथ का, कैकेई माथे कलंक,

राम- सीता का बिछुड़ना किस्मत का खेल था,

अहाल्या का शीलहरण, द्रौपदी का चीरहरण, 

बाल लीला से रास लीला कृष्ण की किस्मत का खेल था, 

कृष्ण-राधा का बिछुड़ना किस्मत का खेल था, 

बावरी बनी मीरा वन-वन फिरी, किस्मत का खेल था, 

दासता परतंत्रता से स्वतन्त्रा के  दौर की, किस्मत का खेल था 

वक्त के साथ सब हार -जीत का खेल है 

मुकद्दर से लडकर वक्त को हराने का जज्बा भी किस्मत का खेल है ,

किस्मत के खेल  से बच न सका कोई, 



Hem lata srivastava 

पर्यावरण

 एक नजर पर्यावरण पर

मैं चीखता रह गया तुम अपंग बनाते रहे, 

मै सिसकता रहा तुम मुझे पूरा ही नष्ट करते रहे, 

आसमान को नील गगन कहने वाले तुम उसे बदरंग बनाते रहे, 

पहाड़ों पर बसने की चाह में पहाडों को मिटाते रहे, 

कुछ तो रहने दो खुद की पीढी के वास्ते,

खुद के सुख की चाह में क्यों मुझको (प्रकृति) मिटाते जा रहे।


हेम लता 




साहस

 मन को समझने वाली माँ, 

भविष्य पहचानने वाला पिता 

दोनों के अदम्य साहस पर 

पुत्र या पुत्री का भविष्य है टिका

कतरों से खुद के सींच नवजीवन का संचार करना साहस माँ का है ,

कतरा -कतरा सहेज संतान का भविष्य संवारना साहस पिता का है ।


Hem lata srivastava 

पिता का प्रेम

 एक पिता के प्रेम की अजब ये दास्ताँ है,

ऑखों में झलकता नहीं पर दिल में प्यार अपार है, 

कभी ऊँगली पकड़  चलना सिखाया कभी काँधे पर बिठाया ,

संस्कारों और अनुशासन का हर पल पाठ पढाया, 

जीवन के हर पथ पर साथ रह हौसला बढाया, 

जिंदगी की डोर को थाम आगे बढना सिखाया,

ऑखों में ऑंसू आने से पहले एक महकता  रूमाल आगे बढाया, 

डरना नहीं,  थमना नहीं हर पल ये ही पाठ पढाया, 

पुत्र/पुत्री के कल को संवारने के वास्ते खुद को कभी जिसने  न शिथिल किया, 

कभी आसमान तो कभी धरा पिता है,

कभी अभिमान पिता है, पुत्र हो या पुत्री का स्वाभिमान पिता है, 

एक उम्मीद इक आस पिता है 

मेरे लिए तो बस एक संपूर्ण संसार पिता है। 


Hem lata srivastava 


Wednesday, June 16, 2021

बरसात की रात

 बरसात की रात ⚡⚡⛈️⛈️

ताउम्र याद रहेगी मुझे वो ठिठुरती  बरसात की रात, ⛈️⛈️

याद तुम भी बहुत आई थी माँ 👩‍👦उस बरसात की रात, 

दस बरस की मै, अक्ल से भी न बडी न थी बहुत, 

थी दिसम्बर की ठिठुरती, कंपकंपाती सी वो अंधेरी रात, 

इक तरफ पानी झमाझम बरसना, आसमां में बिजली ⚡⚡का तडकना,

जा रहे थे बाबूजी, अपने काम से  टूर पर उस रात, 🚆

न थी उस दिन गैस और लकडियाँ भी नम हो रही थी, 

बनाना था भोजन रास्ते में ले जाने के वास्ते,

वो इक ओर बाबूजी का बडबडाना, और मेरे हाथों का काँप जाना,

जितनी बार भी चूल्हे को जलाती, उतना धुएं से ऑखों का जल जाना,

बन तो गये आलू 🥔🥔जैसे तैसे,अब था पूरी के लिए जुगत लगाना,

ठंड से तन काँप रहा था, मन का वो डर से कंपकंपाना, 😫

माँ तेरा न होना मुझे अंदर तक रूला रहा था उस रात, 

कडाही को चढा चूल्हे पर,  नन्हें हाथों से पूरियाँ का बेलना,

भीगी लकडियाँ का सुलगना दूजी ओर पूरियों का ऐंठ जाना,

बरसती बूंदों का तेल में  गिरना और तेल का कडकडाना,

एक हाथ से कडाही में पूरी डालना तो दूजे से थाली का ढक देना,

न जाने कैसे बनाये था बाबूजी और सबके वास्ते मैंने निवाले,

ठंड में कांपते हाथों से बर्तन मांजना,  बिस्तर का लगाना, 

माँ बहुत रोईं थी सिसक-सिसक उस बरसात⛈️⛈️ की रात,

तेरे दामन को मुझसे छीनने के वास्ते😭 नाराज़ उस खुदा से थी उस रात, 

उम्र के इस पड़ाव में आकर भी नहीं भूलती मुझे वो बरसात ⛈️ की रात।