आज सुबह सवेरे कहाँ? मै बोली आज ऑफिस में बडी अर्जेन्ट प्रेजेन्टेशन है माँ जी, मैंने सब काम कर दिया है चलती हूँ आशीर्वाद दीजिये 🙌 कहकर रैना ऑफिस के लिए निकल गयी।
शाम को लौटते समय मेट्रो के लिए इन्तजार कर रही थी तभी एक हाथ उसके कंधे पर आया, मुडकर देखा समझ नहीं आ रही था कि वो अनजान कौन है!
बस पहचानने की कोशिश कर रही थी तभी वो बोली अरे मुझे पहचाना नहीं?
रैना ने न में सर हिला दिया।
मन मस्तिष्क अभी भी ऊहापोह में था तब तक मेट्रो आ गई और वो जाकर सीट पर बैठ गयी साथ में वो अन्जानी भी।
वह एक लिफाफा थमाते हुए बोली यह ले अपनी अमानत!
मैंने असमंजस में फिर उसकी ओर देखा!
तब उसने मुझे याद दिलाते हुए बोला मैं संगीता, कालेज में साथ ही थी वो बात अलग थी कि तूने मुझे अपने दोस्तों की फेरहिस्त से दूर रखा था, पर तेरा वह अहसान कभी नही भूल सकती।
उस दिन मेरे कॉलेज की फीस भरने का आखिरी दिन था, घर से पैसों का इंतजाम हो नहीं सका था, हॉस्टल की भी फीस देनी थी अगर उस वक्त तूने इंतजाम नहीं किया होता तो आज शायद में यहां नहीं खड़ी होती आज मैं एक अच्छी कंपनी में मैनेजर रैंक पर हूं, सिर्फ और सिर्फ तेरी वजह से तेरी वजह से मेरा एमबीए कंप्लीट हुआ और अच्छी जॉब भी मिली! मैंने पहली सैलरी से ही तेरा यह लिफाफा तैयार करके रखा था, तूने न हीं अपना नंबर दिया और ना ही एड्रेस" तेरे यह पैसे में कहां पहुंचाती, समझ में नहीं आ रहा था पर भरोसा था, यह दुनिया गोल है एक न एक दिन तो तू मिलेगी और आज मिल गई।
यह तेरे पैसे इसके लिए जितना भी शुक्रिया करूं कम है चलो आज चलते हैं, घर पर खाना खा कर फिर जाना। मैं बोली नहीं आज नहीं घर पर सासू मां इंतजार करती होंगी आज मैं जरा जल्दी निकली थी ,और हम लोगों ने आपस में संपर्क बनाए रखने के लिए फोन नंबर एक्सचेंज किए।
सही बात है दुनिया गोल है इंसान कभी ना कभी एक दूसरे से टकरा ही जाता है।
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