एक आंसू भी निकलने न दिया जिन्होंने हमारा,
उनकी आँखों को नम न करने का फर्ज है हमारा,
दौड़ आते थे जो एक ही आवाज़ पर हमारी ,
उनकी आवाज़ को अनसुनी न करें फर्ज है हमारा,
अपनी बातों से मन जिनका बेचैन किया था कभी हमने,
उनकी बातों को बैठ सुनले ये ही फर्ज है हमारा,
हर जिद को पूरा किया है जिन्होंने हमारी ,
छोटी- छोटी जरूरतों को हम करें पूरीं फर्ज है हमारा ,
सजा कमरे को हमारे खुद को कोने में रखा था जिन्होंने ,
उनकी खातिर आशियाना सजाएं ये फर्ज है हमारा ॥
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