Sunday, June 14, 2015

बारिश

तपिश से जलती, तप्ती धरा पर बारिश की दो ही बूंदों ने जैसे अमृत सी राहत दी है ,

यहाँ, वहां, इधर- उधर धीरे से मानों मानसून ने दस्तक दी है ,

सूखे से, मुरझाये से खड़े दरख्तों पर बूँद जैसे मोती से चमक रहे हैं ,

गर्द धूल की जिन पर जम गयी थी बूंदों में नहाकर निखर गयी है ,

सुर्ख लाल दहकते चेहरों पर एक बार रौनक फिर लौट आई है ,

मौसम की पहली ही  बारिश में हर ओर हरियाली सी छा गयी है ॥

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