Tuesday, May 20, 2014

unknown

आपके क़दमों के निशान मिटने न देंगे हम कभी ,
बस एक बार पड़ ही जाएं आशियाने में मेरे ॥
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आह भरती एक माँ का दर्द आंसू बन कर आँचल में आकर छिप गया ,
पाला थे जिस एक बेटे को अरमानों संग वो बेटा ही आज बदल गया ,
सोचा कभी उसने नहीं जिस आँचल में महक उसके आँसू की थी
वो  ही आँचल उस माँ के आँसुंओं का बसेरा बन गया है ॥ 

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