Saturday, August 27, 2016

सबसे जुदा मैं हूँ #Knowyourself .

Indispire Edition 132
जैसी भी हूँ, सबसे जुदा मैं हूँ,
अलग दुनिया में लिखती अपनी दास्तान हूँ,
खुद के बनाये पन्नों में बिखराती अपनी दुनिया में मशगूल मैं हूँ,
न कोई मुझसे ऊपर, न कोई मुझसे अच्छा,
करती हूँ नाज़ खुद पर हूँ,
अपने मन में,  अपनी ख़ुशी में झूमती नाचती मैं हूँ,
शिकवा करने वालों से दूर रह कर खुशबू खुद की फैलाती मैं हूँ,
बंद दरवाजों से छनती धूप सी मैं हूँ,
ऊषा की किरणों से रक्तिमा फैलाती ख़ुशी की किरण हूँ,
जो दिल कहे मानती मैं हूँ, 
जो दिमाग कहे करती मैं हूँ,
 न डरना चाहती हूँ,
न डराना चाहती हूँ,
संगीत की तरन्नुम मैं हूँ,
किताबों के पन्नों की दास्ताँ मैं हूँ,
इतिहास बनाना चाहती मैं हूँ,
भविष्य के सपनों में उड़ना चाहती मैं हूँ,
खुद को सबसे आगे मानती हूँ,
हाँ खुद को खुद से ज्यादा जानती मैं हूँ,
जैसी भी हूँ, सबसे जुदा मैं हूँ ॥ 


5 comments:

  1. Sabse juda hun... that is the essence and I think, the right spirit

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  2. जैसी भी हूँ, सबसे जुदा मैं हूँ। बहुत बढ़िया अभिव्यकती।

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  3. wah wah unique...bohot khoobsurat varnan!

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