Tuesday, September 23, 2014

नवसंचार पर्व नवरात्रि ,

ज्ञान,समृद्धि ,अनुकम्पा से परिपूर्ण माँ के पर्व  का है प्रतीक नवरात्रि ,
बदलते हुए मौसम संग तन के नवसंचार करने का पर्व है नवरात्रि ,
हो चाहे चैत्र या हो शारदीय ,होते हैं बड़े ही शुभ दिन नवरात्रि के ,
शैलपुत्री ,ब्रह्मचारिणी ,प्रथम और द्व्तीय,चंद्रघंटा तृतीय रूप में कहलाती माँ ,
चतुर्थ रूप में कूष्माण्डा,पंचम स्कंदमाता रूप में पूजी जाती माँ ,
छठम रूप में कात्यानी ,और सप्तम कालरात्रि कहलाती माँ ,
अष्टम तेरा रूप महागौरी है माँ, नवमी में सिद्धिदात्री कहलाती माँ ,
नव रूपों से पूर्ण माँ नवरात्री में महिमा अपरम्पार हो जाती माँ ,
विषम संकटों से भक्तों की नैया पार लगाती माँ ,
करता तेरा स्नेह पूर्वक स्मरण जो उसका बेड़ा पार लगाती माँ
विष्णु प्रिय पुष्प कमल के आसन पर है विराजती तू माँ ,
चामुण्डा रूप में प्रेत पर और वाराही रूप में भैस पर विराजती है माँ ,
माहेश्वरी रूप में बैल पर,तो कौमारी रूप में मोर  पर विराजे माँ ,
आभूषणों से विभूषित ब्राह्मी रूप में हंस पर विराजे तू माँ ,
भक्तों की रक्षा करने लिए तू मदेवताओं के कल्याण हेतु
चक्र,गदा,शक्ति,हल,मूसल ,तोमर ,भाल ,त्रिशूल धारण करने वाली माँ
रौद्र रूप में तेरा दर्शन है  बहुत ही दुर्लभ माँ ,
पूर्व दिशा मैं ऐन्द्री ,अग्निकोण में अग्निशक्ति माँ ,
दक्षिणी में वाराही देवी भक्तों की रक्षा है करती माँ ,
उत्तर दिशा  कौमारी की ,ईशान  शूलधारिणी है विराजे ,
जाया और विजय  भक्तों की रक्षा करने वाली है माँ ,
जयंती,मंगला ,भद्रकाली ,कपालिनी काली,दुर्गा ,क्षमा ,
शिवा,धात्री ,स्वाहा स्वधा नामों का जिसने किया उच्चार माँ ,
कर देती हर कष्ट से उनका तो कल्याण माँ,
मधु और कैटभ संहारा माँ ,चणड और मुण्ड  को है  मारा माँ ,
शुंभ और निशुम्भ का कर मर्दन कर ,किया है सबका बेडा पार माँ ,
हे! चण्डिके सर्व बाधाओं से मुक्त करने वाली माँ ,
रोगों का नाश करने वाली,यश ,पराक्रम दिलाने वाली माँ ,
हम सबको सौभाग्य,आरोग्य और परम सुख का वर देना माँ ,
प्रचंड,दैत्यों के अभिमान को पल भर में तूने ही किया चकनाचूर माँ ,
देवी कवच ,अर्गला,कीलक और सप्तसती के पाठ  से किया जिसने भी तुझे प्रसन्न माँ ,
किया था तप जब सुरथ राजन ने तब नाश किया कोलविध्वंश दैत्य का माँ
जीवन दान दिया सुरथ को माँ ,
महिषासुर मर्दिनी ,ज्योतिरूपिणी भवबाधाएं हरने वाली माँ ,
कौमारी ,सरस्वती ,ब्रम्हाणी हे वैष्णवी तू है माँ।,
लक्ष्मी,शांति,क्षुधा ,मातृ,तृष्णा रूप में स्थित तेरे हर रूप को है नमस्कार माँ ,
साठ हजार सेनाओं वाले धूम्रलोचन का तूने ही वध किया था माँ ,
ब्रह्म ,शिव ,कार्तिकेय ,विष्णु,इंद्र समस्त देवताओं की शक्तियों से विभूषित होकर माँ
किया दैत्यों का नाश तूने माँ ,
कुमकुम अक्षत और पुष्पों से ,नैवैध ,धूप और अर्चन से माँ,
शुभ नवरात्री के शुभ पवन अवसर पर माँ
तेरे हर रूप,हर श्रृंगार के दर्शन से नवरात्री का पूजन कर माँ ,
अपने जीवन की नैया को पार लगाना हमको है माँ ,







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